वैसे तो भारत त्योहारों की धरती है। यहाँ हर साल हरेक समुदाय के लोग त्यौहार बड़े ही धूम - धाम से मनाते है। उनमें से ही रक्षाबंधन भी हिन्दू समुदाय का भाई - बहन के प्रेम का प्रतीक है। जिसे हर वर्ष श्रावण मास में मनाया जाता है। आज हम इसी रक्षाबंधन के बारे में विस्तार से बात करेंगे की रक्षाबंधन क्यों मनाई जाती है और कैसे मनाया जाता है। आप इस लेख को पूरा पढ़े यहाँ आपको रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त , रक्षाबंधन से संबंधित शायरी तथा कैसे मनाया जाता है,आदि सभी के बारे में विस्तार से लिखा गया है। चलिए फिर शुरू करते है।
रक्षाबंधन कैसे मानते है |
रक्षाबंधन क्यों मनाई जाती है ?
रक्षाबंधन क्यों मनाई जाती है इसके पीछे कुछ धार्मिक गाथाएँ जुड़ी है। इनमें से अत्यधिक कथाये भगवान श्री कृष्ण और महाभारत से जुड़ी है। इन सभी कथाओं को हम नीचे विस्तार से समझेंगे। उससे पहले हम समझते है, रक्षाबंधन शब्द का अर्थ क्या होता है। रक्षा + बंधन से मिलकर बना है रक्षाबंधन जिसका सीधा अर्थ है की रक्षा करने वाला बंधन जो भाई के कलाई पर बहन बांधती है। इसके बदले भाई अपनी बहन को उसके जीवन को रक्षा करने का वचन देता है। यह त्यौहार भाई - बहन के प्यार के प्रतीक भी होता है। चलिए अब हम इसके ऐतिहासिक कथाओं की तरफ चलते है।
रक्षाबंधन की ऐतिहासिक गाथाएँ
इन्द्र और असुरों के मध्य संग्राम युद्ध
पुराणीक कथाओं के अनुसार धरती पर असुरों पराक्रम ज्यादा हो जाने के कारण देवताओं और असुरों में 12 वर्ष तक युद्ध चला था। जिस कारण देवलोक में हाहाकार मच गया। जिसके निवारण के लिए भगवान बृहस्पति ने देवराज इंद्रा के पत्नी शची को श्रावण मास के पूर्णिमा को व्रत रखकर रक्षा सूत्र को समस्त देवताओं को बांधने को कहा। शची ने ठीक वैसा ही किया और अंत में देवताओं ने असुरों पर विजयी पायी। तभी से रक्षाबंधन का पूर्व विख्यात हो गया।
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महाभारत में राजा बलि और भगवान विष्णु की कथा
महाभारत में राजा बलि ऐसा दानी राजा कोई नहीं था। उनके पराक्रम के चर्चे दूर - दूर तक विख्यात थे। फिर भी उनकी इच्छाएं अधिक पाने की लगी रहती थी। तभी उन्होंने घोर तपस्या करके भगवान विष्णु को प्रसन कर लिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को दर्शन दिए और कहा हे ! राजन मांगो क्या मांगना चाहते हो। फिर राजा बलि ने कहा हे ! देव मेरी यही इच्छा है की आप मेरे साथ पाताल लोक आकर रहे भगवान ने उनकी बात मन ली। लक्ष्मी को बात पता चलते ही उन्होंने श्रावण मास के पूर्णिमा को व्रत रखा और ग़रीब के भेष में पाताल लोक पहुंची। वह उन्होंने राजा बलि को रक्षा सूत्र बाँधकर बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया। तभी से यह पर्व विख्यात हो गया।
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महाभारत में श्री कृष्ण और द्रौपदी की कथा
महाभारत में ही एक और कथा है जब श्री कृष्ण और शिशुपाल में युद्ध हुआ तो भगवान कृष्ण की तर्जनी ऊँगली कट गयी थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी को फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ के ऊँगली पर पट्टी बांधा था। तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन के रूप में स्वीकार किया था। यह सत्य भी हुआ द्रौपदी के चिर हरण के समय भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी। तबसे यह पर्व भाई बहन के रक्षा का प्रतीक बन गया।
बादशाह हुमायूँ और राजा सांगा के पत्नी कर्मवती की कथा
रक्षाबंधन पर हुमायूँ और कर्मवती की कथा बहुत ही याद की जाती है। मुग़ल साम्राज्य के नींव रखने वाले बाबर के पुत्र हुमायूँ को राजा सांगा की पत्नी कर्मवती ने पत्र और साथ में रक्षा सूत्र भेज कर चितौड़ राज्य के रक्षा करने का वचन माँगा था। जिसे हुमायूँ ने भली - भांति निभाया और उसने चितौड़ पर कभी आक्रमण नहीं किया। यहाँ तक की चितौड़ की रक्षा करने के लिए उसने बहादुरशाह जफ़र से भी युद्ध कर उसे पराजित किया। तो इस कथा में कर्मवती द्वारा भेजा गया रक्षा सूत्र ही रक्षा बंधन के प्रतीक है। आज हरेक बहन अपनी रक्षा के लिए अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है।
राजा पोरस और सिकंदर के पत्नी रोक्साना की कथा
मध्यकाल में राजा पोरस के पास सिकंदर के पत्नी ने पुरु के रक्षा के लिए पोरस के कलाई पर राखी बांधा था। जिसे राजा पोरस ने पुरु पर हमला न करने के वचन दिया। लेकिन एक बार सिकंदर ने राजा पोरस पर हमला कर दिया लेकिन पोरस अपने हाथ पर रक्षा सूत्र बंधा देख कर सिकंदर के साम्राज्य पर पलट कर वार नहीं किया। जिससे यह त्यौहार के रूप में रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है
Rakhi Image |
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है यह जानना इसलिए ज़रुरी है क्युकी किसी भी त्यौहार को मनाने का एक मुहूर्त निर्धारित रहता है। इस दिन भाई - बहन सुबह उठकर स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में पूर्व पश्चिम दिशा में बैठकर एक थाली में रंगोली राखी मिठाई आरती इत्यादि रख कर बहन भाई के कलाई पर राखी बांधती है। राखी बांध कर बहन भाई का मुँह मीठा करवाती है तथा भाई अपनी बहन को खुशी से कोई उपहार भेंट करता है और अपनी बहन की आजीवन रक्षा करने का वचन भी देता है। इस वर्ष 2020 में रक्षाबंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा।
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 3 अगस्त 2020 को सुबह 9 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 35 मिनट तक है। इसी बीच आप राखी बाँधकर साथ में आप विष्णु मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप भी कर सकते है।
रक्षाबंधन से संबंधित कुछ शायरी
रक्षाबंधन से संबंधित कुछ शायरी यदि आप अपनी बहन से दूर है तो आप इन शायरी को भेजकर अपनी बहन को रक्षाबंधन की शुभकामनाये भेज सकते है।
सबसे प्यारी मेरी बहना
मानती है मेरी कहना
दूर कभी न मुझसे रहना
तेरे लिए लाया राखी और गहना
HAPPY RAKSHABANDHAN 2020
मुझे उम्मीद है आपको यह मेरी लेख पसंद आयी होगी। यदि आप भी कोई शायरी जानते है तो नीचे कमैंट्स में लिख सकते है। ख़ैर भाई - बहन में प्यार और लड़ाई तो होते रहते है। चलिए आपसे विदा लेते हुए मिलते है नए मजेदार लेख के साथ तब तक के लिए आप सबको धन्यवाद।
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1 Comments
Amazing Article 👍👍👍👍👍👍👍👍
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