क्या 21 जून 2020 को दुनिया का अंत हो जाएगा। जानिए माया कैलेंडर की सच्चाई
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पहले ही पूरी दुनिया में कोरोना जैसी महामारी से लोग परेशान है , की कुछ अफवाहें लोगो की होश उड़ा रही है। ऐसे ही अफ़वाह अमेरिकी माया सभ्यता कैलेंडर के अनुसार सामने आया है , की पूरी दुनिया कल यानि 21 जून 2020 को समाप्त हो जाएगी। आज इसी बात पे हम कुछ अहम बातों पर चर्चा करेंगे देखेंगे की इस बात में कितनी सच्चाई है। कुछ लोग इस बात को सच मान रहे है , लेकिन वैज्ञानिकों ने इस भविष्यावाणी को झूठ मानते हुए ख़ारिज कर दिया है। देखिये माया सभ्यता से जुड़े कुछ अनोखी सच्चाई .......
क्या है माया सभ्यता के कैलेंडर रहस्य
माया सभ्यता के लोगों की सबसे बड़ी खासियत उनका खगोलीय ज्ञान थी। उन्होंने विभिन्न घटनाओं, धार्मिक त्योहारों और जन्म-मरण संबंधी बातों का रेकार्ड रखने के लिए कैलेंडर बनाया था। माया सभ्यता की गणना और पंचांग को माया कैलेंडर कहा जाता था। इसका एक साल 290 दिन का होता था। माया कैलेंडर में तारीख तीन तरह से निर्धारित होती थीं। तारीख का निर्धारण लंबी गिनती, जॉलकिन यानी ईश्वरीय कैलेंडर और हाब यानि लोक कैलेंडर के जरिए होता था। इसी आधार पर माया सभ्यता के लोग भविष्यवाणियां करते थे। माया सभ्यता के लोगों की मान्यता थी कि जब उनके कैलेंडर की तारीखें खत्म होती हैं, तो धरती पर प्रलय आता है और नए युग की शुरुआत होती है। 21 दिसंबर 2012 को दुनिया के अंत होने की भविष्यवाणी भी इसी माया कैलेंडर ने दी थी, लेकिन यह गलत साबित हुई। लेकिन इस कलैंडर के अनुसार 21 जून 2020 दुनिया का अंत हो जाएगा। यह खबर सोशल मीडिया पर कोरोना वायरस की तरह फैल गया।
वैज्ञानिकों का क्या कहना है
ग़ौरतलब हो की वैज्ञानिकों ने इन सभी बातों को अफ़वाह बताया है। वे इन सभी बातों पर विश्वास नहीं करते है। लेकिन वैज्ञानिक पाओलो के ट्वीट के बाद अब लोगों का कहना है कि 21 जून 2020 दरअसल, 21 दिसंबर, 2012 है। बता दें कि वर्ष 2012 में भी इस तरह के दावे किए गए थे कि 21 दिसंबर को दुनिया का अंत हो जाएगा। दरअसल, इस पूरे दावे की शुरुआत उस दावे से हुई जिसमें कहा जा रहा था कि सुमेरिअन लोगों ने एक ग्रह नीबीरु की खोज की थी। निबिरू ग्रह अब पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। सबसे पहले दावा किया गया था कि मई 2003 में दुनिया का खात्मा हो जाएगा लेकिन जब ऐसा नहीं हुआ तो इसकी डेट बढ़ाकर 21 दिसंबर 2012 कर दी गई। बहुत से साहित्यकार का यह भी कहना है , की हम अभी माया कैलेंडर के अनुसार 2012 में अपना जीवन वयतीत कर रहे है। जिसके अनुसार 21 जून 2020 को 21 दिसंबर 2012 माना जा रहा है।
माया सभ्यता का अंत आखिर कैसे हुआ
माया सभ्यता का अंत आखिर कैसे हुआ
हमारी धरती पर हजारों साल पहले माया सभ्यता मौजूद थी लेकिन किन्हीं कारणों से यह सभ्यता खत्म हो गई। माया सभ्यता का अंत का रहस्य क्या है, वैज्ञानिक इस पर से पर्दा उठाने की कोशिशों में लगे हुए हैं। इस बारे में हाल में एक और रिसर्च सामने आई है। इसमें कहा गया कि माया सभ्यता का अंत करीब 100 से ज्यादा वर्षों तक लगातार सूखा पड़ने के कारण हुआ। इसके लिए शोधकर्ताओं ने मरीन लाइफ बेलिज के फेमस 'ब्लू होल' और उसके आसपास पाए जाने वाले लगूनों से लिए गए खनिजों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि 800 से 900 ई. के मध्य एक भयंकर सूखा पड़ा था, वही माया सभ्यता के अंत का प्रमुख कारण बना। 'लाइव साइंस' की रिपोर्ट के मुताबिक छठी सदी से लेकर 10वीं सदी तक भयंकर सूखा पड़ा जिससे माया सभ्यता का विनाश हो गया।
क्या थी माया सभ्यता ?
माया सभ्यता कोलंबियाई मीसो अमेरिकी सभ्यता से पहले की मानी जाती है। जहां पर आज मैक्सिको का यूकाटन नामक स्थान है वहां किसी जमाने में माया सभ्यता के लोग रहा करते थे। इसे मेसो-अमेरिकन सभ्यता भी कहा जाता है। माया सभ्यता ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास और यूकाटन प्रायद्वीप में स्थित थी। यह मैक्सिको की एक महत्वपूर्ण सभ्यता थी। इस सभ्यता की शुरुआत 1500 ई. पू. में हुई। यह 300 ई० से 800 ई० तक काफी प्रगतिशील रही, फिर धीरे-धीरे इसका अंत हो गया। माया सभ्यता के लोग कला, गणित, वास्तुशास्त्र, ज्योतिष और लेखन आदि के क्षेत्र में काफी अव्वल थे। इसे कलात्मक विकास का स्वर्ण युग भी कहा जाता है। इस दौरान खेती और शहर का विकास हुआ। इस सभ्यता की सबसे उल्लेखनीय इमारतें पिरामिड हैं जो उन्होंने धार्मिक केंद्रों के रूप में में बनाए थे। दावा किया जाता है कि 900 ई. के बाद माया सभ्यता के इन नगरों का ह्रास होने लगा और नगर खाली होने लगे। ग्वाटेमाला, मैक्सिको, होंडुरास और यूकाटन प्रायद्वीप में इस सभ्यता के अवशेष खोजकर्ताओं को मिले हैं।
माया सभ्यता के लोगों की सबसे बड़ी खासियत उनका खगोलीय ज्ञान थी। उन्होंने विभिन्न घटनाओं, धार्मिक त्योहारों और जन्म-मरण संबंधी बातों का रेकार्ड रखने के लिए कैलेंडर बनाया था।
निष्कर्ष
पहले ही दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है , इसमें डॉक्टर्स की यही राय है की इन सभी अफ़वाहों से दूर रहे है। दुनिया में जो भी घटनाएँ होने वाला है, वो होकर रहेगा। इन सभी विचारों को अपने मन में न लाये नहीं तो आप भी डिप्रेशन के शिकार हो सकते है।
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