बार बार खाने की आदत " इटिंग डिसऑर्डर " देती है बीमारी को बुलावा
LockDown LifeStyle |
वैसे तो खाना हमारे शरीर के लिए लाभदायक है हमें इससे ऊर्जा मिलती है। लेकिन हम यह भी जानते है की किसी भी काम करने का एक ढंग या लिमिट होता है। पानी पीना भी हमारे शरीर के लाभदायक है परन्तु लगातार बिना कुछ सोचे समझे पानी पीने से भी कई रोग हमारे शरीर में उत्पन्न होने लगते हैं। ठीक इसी प्रकार लॉकडाउन चल रहा है इसमें हमें अपने शरीर का ख्याल रखना होगा की कोई बीमारी हमें न हो। इसका मतलब यह नहीं की जब मर्ज़ी दिन में कई बार ऊर्जा लेने के लालच में हम खाना ही खाते रहे। इसी बात पर हम आज चर्चा करेंगे इनसे जुड़ी कुछ टीप्स भी बताएँगे जिसे आप उपयोग में लाकर स्वस्थ रह सकते है।
साफ़ शब्दों में कहे तो इसे हम विज्ञान के भाषा में "इटिंग डिसऑर्डर" कहते है।
इटिंग डिसऑर्डर क्या होता है
आमतौर पर इसकी जड़ें समाज के रवैये में छिपी होती हैं। दरअसल हमारा आचरण, व्यवहार और आदतें हमारी सामाजिक परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती हैं। जिस समाज में दुबलेपन को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता, वहां इटिंग डिसऑर्डर कम पाया जाता है। दूसरी ओर जिन समाजों में दुबलेपन को सौंदर्य से जोड़ कर देखा जाता है, वहां इटिंग डिसऑर्डर के ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं।
इटिंग डिसऑर्डर के कारणों को पहचाने
लम्बे समय तक भूखे रहना : कुछ लोग उस समय तक ही भूखे रह सकते हैं, जब तक शरीर दोबारा खाने के लिए संकेत नहीं करता। एनोरेक्सिया से ग्रस्त कुछ लोगों में इस प्रकार का संकेत करने वाला ‘स्विच’ नहीं होता, जिसके कारण वे लंबे समय तक भूखे रह जाते हैं, जिससे उनका वजन कम होता रहता है।
शरीर की अवस्था : उम्र बढ़ने से शरीर में होने वाले परिवर्तन ऐनोरेक्सिया से कुछ हद तक कम हो सकते हैं, जैसे कि पुरुषों में चेहरे और कान के बाल, स्त्रियों में स्तन का विकास और मासिक धर्म। हालांकि एनोरेक्सिया प्रौढ़ होने की अपेक्षा खासतौर पर यौन संबंधी व्यवहार में परिवर्तन कर सकता है।
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परिवार संग भोजन का अभाव : परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ भोजन करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। खाना ग्रहण करना आनन्द देता है और मना करना कुछ लोगों को नाराज कर देता है। खासकर परिवार के सदस्यों के बीच न खाना, नाराजगी का भी प्रतीक होता है। लोग अपनी भावनाओं या नाराजगी को जताने के लिए खाने से मना कर देते हैं।
इटिंग डिसऑर्डर के लक्षण
- पेट सिकुड़ जाने के कारण खाने में होने वाली परेशानी
- शरीर का चयापचय कम होने के कारण थकान, कमजोरी या ठंड महसूस करना
- कब्ज होना
- पूरी लंबाई तक न बढ़ना
- हड्डियों का नाजुक होना, जिससे वे टूट सकती हैं
- गर्भधारण करने में असमर्थ होना
- लिवर का नष्ट होना, विशेष रूप से यदि शराब पीते हैं
- दिल की धड़कन का असामान्य महसूस करना
- कमजोरी महसूस करना
- मिर्गी के दौरे पड़ना
इटिंग डिसऑर्डर से बचने के उपाय
- सुबह हल्का नाश्ता करना चाहिए
- दोपहर में भूख हो उतनी ही खाया करे
- खाने के बीच बीच में न उठे और न ही बातें करे
- शाम को सैर सपाटे पर निकले आने के बाद हल्का भोजन करे
- रात को 9 बजे रात्रि तक खाना खा ले
- खाना खाने के बाद थोड़ा टहले फिर सोये
- पानी का भरपूर मात्रा में सेवन करना लाभदायक है
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