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जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ? और कैसे मनाया जाता है 2020



जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है ? भारत की धरती पर शुरू से ही देवी - देवताओं का वास रहा है। यहाँ हरेक वर्ष अनेक पर्व बहुत ही धूम - धाम से मनाया जाता है। उसमे से ही एक पर्व है कृष्ण जन्माष्टमी जो की संपूर्ण भारत में बड़े ही चाव से मनाई जाती है। आज हम जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है इसके बारे में भी हम विस्तार से इसके इतिहास को समझेंगे। 



जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है
जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है




जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है और इसका इतिहास ? 


जन्माष्टमी मनाए जाने के पीछे के इतिहास जानने से पहले हम जानते है की जन्माष्टमी शब्द का अर्थ क्या होता है ? जन्माष्टमी का अर्थ होता है जन्म + अष्टमी जिसका मतलब है की भाद्रपद के कृष्ण पक्ष को भगवान श्री कृष्ण का जन्म अष्टमी की रात्रि को हुआ था। इसलिए इस दिन से इसे त्यौहार के रूप में समस्त भारत देश में खासकर मथुरा और द्वारिका में धूम - धाम से मनाया जाने लगा। जन्माष्टमी 2020 में भी 2 दिन मनाया जाएगा। 11 अगस्त को आश्रम में रहने वाले लोगों के लिए कुशल रहेगा वही गृहस्थों के लिए 12 अगस्त को मनाया जाने वाला जन्माष्टमी ज्योतिषाचार्य के अनुसार सबसे  सर्वश्रेष्ठ माना गया है। 



जन्माष्टमी क्यों मनाते है ? 


जन्माष्टमी मनाए जाने के पीछे हमारे धर्म ग्रंथो के अनुसार श्री भगवान विष्णु पापियों तथा दुष्टो से पृथ्वी को मुक्त करने के लिए श्रीकृष्ण अवतार में जन्म लिया। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष में अष्टमी के रात्रि रोहिणी नक्षत्र में वासुदेव और देवकी के पुत्ररूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। जन्माष्टमी के इस महान पर्व को स्मार्त और वैष्णो संप्रदाय के लोग अलग - अलग रूप में जन्माष्टमी के पर्व को मानते है। तत्पश्चात जन्म के बाद ही कंस जैसे पापी राक्षस को मार डाला था। उसके बाद उन्होंने महाभारत में भी कौरव पर पांडव की जीत में अहम् भूमिका निभाई थी। जन्माष्टमी के दिन मथुरा में श्रीकृष्ण भक्त कृष्णमय हो कर खुशी से झूम उठते है।   जन्माष्टमी के दिन हमारे चारों तरफ का वातावरण श्री कृष्ण के रंग में रंगा हुआ होता है। यह है श्री कृष्ण के जन्माष्टमी मनाये जाने के पीछे के रहस्य के बारे में रोचक जानकारी इसके बाद हम जन्माष्टमी कैसे  मनाते है इसके बारे में नीचे विस्तार से समझेंगे। 




जन्माष्टमी 2020 कैसा रहेगा 



जन्माष्टमी 2020 में शास्त्रों के अनुसार गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात को अष्टमी की तिथि लग रही हो। ठीक उसी प्रकार रोहिणी नक्षत्र में वैष्णो संप्रदाय के लोगों को व्रत रखना चाहिए। लेकिन इस बार 12 अगस्त को सुबह के 9 बजकर 07 मिनट से लेकर 11 बजकर 27 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी उसके बाद नवमी तिथि लग जायेगी। आप अष्टमी तिथि में ही अपना व्रत रख ले। लेकिन इस बार के योग किसी दूसरे ओर ही इशारा कर रहे है इस बार रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को सुबह 3 बजकर 27 मिनट से लेकर 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। दो दिन के इस जन्माष्टमी में आप जो ज्योतिष ने कहा है की उनके अनुसार 12 अगस्त को आप व्रत रख सकते है साथ ही आप इस बार जन्माष्टमी के भी दुर्लभ योग्य बने हुए है क्युकी रोहिणी नक्षत्र 13 अगस्त को लगने जा रही है। 
 

वैसे तो जन्माष्टमी का नाम सुनते ही सभी गांव नगरों में लोगो के दिल में एक नया ही उमंग देखने को मिलता है। सभी लोग इस त्यौहार को मनाने के लिए आस - पास की मंदिरों को बड़े ही अच्छे से सजावट करते है। यह बात तो हम सभी जानते है की भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। मथुरा उनका जन्म स्थल है साथ ही इसे कृष्ण नगरी भी कहा जाता है। जन्माष्टमी के दिन मथुरा में लोगो की उमड़ी हुई भीड़ देखने को मिलती है। देश के हरेक कोने से द्वारिकाधीश का यह जन्माष्टमी अथवा जन्मदिन को मनाने आते है। लेकिन कई वर्ष से चली आ रही जन्माष्टमी की परम्पराओं पर शायद इस बार 2020 में पूर्णविराम लगने वाला है , क्युकी इस बार कोरोना महामारी के चलते हलात ही ऐसे है की लोगो की उमड़ी हुई भीड़ इस बार मथुरा में देखने को नहीं मिलेगी। क्युकी यह वायरस ही ऐसा है की जिसमे हमें सामाजिक दूरी को बनाये रखने की सलाह दी गयी है।  जिसकी वजह से इस बार मथुरा सुनी सी हो जायेगी। खैर अब हम इसके इतिहास के बारे में जानेंगे। आपसे निवेदन है की आप इस लेख को पूरा पढ़े आपको बहुत ही अच्छी जानकारी मिलने वाली है। 
 


जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है ? 





जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है
जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है 





जन्माष्टमी को मनाए जाने के बारे में शास्त्रों में यह कहा गया है की जन्माष्टमी के दिन श्री कृष्ण की भक्ति करने वाले को सभी दुखों से निवारण मिलता है साथ ही उन्हें भगवान विष्णु की परिपूर्ण भक्ति प्राप्त होती है। जन्माष्टमी मनाने की विधि में आप सुबह उठकर अपना रोज़ का नित्य कार्य करके आप पास की किसी तालाब या पोखर में या आप अपने घर पर भी स्नान करके जन्माष्टमी व्रत की पूरी पूजा सामग्री इक्कठा करके अपने व्रत का अनुष्ठान किया जाता है। इस दिन आप भगवान  श्री कृष्ण की मूर्ति की प्रतिमा पास के पोखर में से शुद्ध मिट्टी के द्वारा तैयार कर साफ़ वस्त्र धारण करके एक पालने या झूला में रख के आगे की पूजा की तैयारी जारी रखे। साथ ही आप श्रीकृष्ण की माता देवकी की प्रतिमा तैयार करके उन्हें अपने पूजा गृह में स्थापित करे। रात्रि में लोग इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को पालने में बिठाकर विधिपूर्वक पूजा करते है। आप भी इस बार जन्माष्टमी धूम - धाम से मनाए। 



निष्कर्ष 



इस बार तो आपसे आग्रह है की कोरोना महामारी के चलते सामाजिक दूरी को बनाये रखे और आप जन्माष्टमी को अपने परिवार सहित घर में ही धूम - धाम से मनाये। 
मुझे उम्मीद है आपने आज बहुत कुछ सीखा होगा। ऐसे ही रोचक तथ्य के बारे में जानकारी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए सोशल मीडिया पर फॉलो कर सकते है। इस लेख के बारे में जो भी आपकी राय हो आप नीचे हमें कमेंट करके दे सकते है। आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये। इस बार आप जन्माष्टमी अपने घर पर ही धूम - धाम से मनाये। इस लेख को पढ़ने के लिए आप लोगों को धन्यवाद। 










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